Jine Ki Ichha Kisako Thi: Pyar Bhare Beej
कदम कदम पर बीज बोये थे प्यार भरे,
फल खाने की यहाँ इच्छा किसको थी,
घाव दे गए गहरे, पथ्थरों से मारकर,
चलो भूख मिटाई उनकी, फरियाद किसको थी,
भर गया था दिल, इस धुंधली सी छाव से
आग में तपकर जल गए थे, परवाह किसको थी,
जाकर खड़े हो गए अब मुर्दो के बाजार में,
खरीददार मिल जाये कोई, जीने की इच्छा किसको थी….
ऐसे ही मजेदार शायरियाँ को हररोज पाने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर फॉलो जरूर करें।