बसंत पर शायरी हिंदी में

बसंत पर शायरी हिंदी में

~ Fakira

थी वो बसंत की मौसम की तरह, वो चली गई मगर यादें रह गई। 

~ Fakira

सदाबहार हैं तुम्हारी यादें ओर ख़्वाब तुम्हारे न कोई पतझड़ न कोई बसंत इनका। 

~ Fakira

ठंड को अलविदा करती ये बसंती हवा ले आई रंग उमंग के... 

~ Fakira

हर पतझड समेट तेरी, कुछ बसंत सा बह जाता मुझमें। 

~ Fakira

खिल रहा है गुलशन भी बसंत की बहारो में, चलो हम दोनों मिलकर और भी रंगीन कर दे। 

~ Fakira

पतझड़ मे गिराए थे जिसने पत्ते अपने झोको से, वहीं हवाए अब बसंत मे साथ निभाने आई है। 

~ Fakira

जब भी बसंत आऐ, धरा भी इतराए, पीले पीले फूलों से सज कर मंद मंद शर्माए… 

~ Fakira

हस रहे थे लोग मेरी जिंदगी पे, पड़ाव आया जब पतझड का, रुको, अभी जलना भी बाकी है, बहारे खिल उठी है अभी बसंत में। 

~ Fakira

खिल रहे है फूल, गुनगुना रहा है भँवरा, ए प्रेयसी तुम बन जाओ इत्र सी महक, तो में बन जाऊं बसंत का पलाश। 

~ Fakira