थी वो बसंत की मौसम की तरह, वो चली गई मगर यादें रह गई।
~ Fakira
सदाबहार हैं तुम्हारी यादें ओर ख़्वाब तुम्हारे न कोई पतझड़ न कोई बसंत इनका।
~ Fakira
ठंड को अलविदा करती ये बसंती हवा ले आई रंग उमंग के...
~ Fakira
हर पतझड समेट तेरी, कुछ बसंत सा बह जाता मुझमें।
~ Fakira
खिल रहा है गुलशन भी बसंत की बहारो में, चलो हम दोनों मिलकर और भी रंगीन कर दे।
~ Fakira
पतझड़ मे गिराए थे जिसने पत्ते अपने झोको से, वहीं हवाए अब बसंत मे साथ निभाने आई है।
~ Fakira
जब भी बसंत आऐ, धरा भी इतराए, पीले पीले फूलों से सज कर मंद मंद शर्माए…
~ Fakira
हस रहे थे लोग मेरी जिंदगी पे, पड़ाव आया जब पतझड का, रुको, अभी जलना भी बाकी है, बहारे खिल उठी है अभी बसंत में।
~ Fakira
खिल रहे है फूल, गुनगुना रहा है भँवरा, ए प्रेयसी तुम बन जाओ इत्र सी महक, तो में बन जाऊं बसंत का पलाश।
~ Fakira