युही चले जाना है जिंदगी के सफर से, ना कुछ ले जाना है, ना कुछ साथ आएगा...
आये हो दुनिया में, तो हसकर जी लो, क्या तेरा–मेरा करना इस उलझी हुई जिंदगी में…
मुसाफिर हु इस धुंधली सी जिंदगी का, धुंआ बनकर उड़ जाऊंगा एक दिन, बस राख बनकर रह जायेगी जमीन पर…
चलते चलते ज़िंदगी में, ऐसे खो जाएंगे, जैसे ओझल हो जाते है मुसाफ़िर रास्तों पर…
@heartbeatpain
Blog