दोस्तों आज हम लेके आए हे बसंत की बहार पे शायरी जो आप अपने दोस्तों को व्हॉट्सएप्प, फेसबुक पर भेज सकते हो. चलिए शुरू करते हे हे बसंत की बहार पे शायरियाँ
बसंत की बहार | Basant Ki Bahar Shayari Hindi me

निखर रही थी तेरे प्यार में राधे,
ऊपर से रंगों भरा बसंत आ गया…

थी वो बसंत की मौसम की तरह,
वो चली गई मगर यादें रह गई।

सदाबहार हैं तुम्हारी यादें ओर ख़्वाब तुम्हारे
न कोई पतझड़ न कोई बसंत इनका।

ठंड को अलविदा करती
ये बसंती हवा
ले आई रंग उमंग के…

हर पतझड समेट तेरी,
कुछ बसंत सा बह जाता मुझमें।

खिल रहा है गुलशन भी बसंत की बहारो में,
चलो हम दोनों मिलकर और भी रंगीन कर दे।

पतझड़ मे गिराए थे जिसने पत्ते अपने झोको से,
वहीं हवाए अब बसंत मे साथ निभाने आई है।
Basant Pe Shayari In Hindi : Heartbeatpain

जब भी बसंत आऐ, धरा भी इतराए,
पीले पीले फूलों से सज कर मंद मंद शर्माए…

हर कोई साथ छोड़कर चला गया,
जो कहेते थे तुम्हारे साथ है हम,
जब पतझड़ के दिन आये तो सब बिखर गए।

हस रहे थे लोग मेरी जिंदगी पे,
पड़ाव आया जब पतझड का,
रुको, अभी जलना भी बाकी है,
बहारे खिल उठी है अभी बसंत में।

खिल रहे है फूल, गुनगुना रहा है भँवरा,
ए प्रेयसी तुम बन जाओ इत्र सी महक,
तो में बन जाऊं बसंत का पलाश।

मेरी पतझड सी जिंदगी में,
बसंत की बहार हो तुम।

रंग भरी शाम की महेकती हुई फिजा हो,
बसंत की मौसम में खिलती हुई केसर सी तुम।

ये जीवनधारा तो रंग बदलती है,
प्यार का रंग तो बसंत की बहारो सा है।
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