Bhagvan Kyu Nahi Milate? | Why can’t God be found? 2023

Bhagvan Kyu Nahi Milate? : काफी लोगो के मनमें एक सवाल होता हे की हम भगवान को मानते हे और पूजा पाठ और भक्ति भी अच्छी तरह से करते है, फिरभी हमें दुःख ही क्यों मिलते हे, या तो अंत में भी बुरी दशा से गुजरते है, और दुर्गति को प्राप्त होता है, जबकि कोई व्यक्ति किसी भगवान को मानता हो या ना हो, जो बुरे काम ज्यादा करता है, कोई पूजा अर्चना नहीं करता, या किसी भी प्रकार का अच्छा काम नहीं करता फिरभी अंत में उसको उसके मुख से भगवान का नाम निकलता हे, और उसको सदगति प्राप्त होती है, ऐसा क्यों?

Bhagvan Kyu Nahi Milate? | भगवान क्यों नहीं मिलते?

Bhagvan Kyu Nahi Milate Hindi

Bhagvan Kyu Nahi Milate? : दोस्तों पहले तो हम बात करते है जो लोग भगवान को मानते हे, और भक्ति के साथ साथ पूजा अर्चना भी अच्छी तरह से करते है फिरभी उनको कष्ट भुगतना पड़ता हे. क्योकि जो अच्छे और सच्चे मार्ग पर चलता है उनको रास्ते में दुःख, पीड़ा, यातना से गुजरना ही पड़ेगा। सब माया का प्रभाव है. जितना आप मोह माया से पीछे जाओगे उतनी ही माया आपके पीछे पीछे आएगी। आपके अपने आसपास के लोग ही आप को इस मार्ग से भटकाने या आपको दुःख देने के उदेश्य से खड़े होंगे।

Bhagvan Kyu Nahi Milate?

मगर सच्चे रास्ते पर सबसे अहम बात है धैर्य। आपको चाहे कितना भी गिराने की कोशिश करें, आपको धैर्य बनाये रखना है. आपके मन को भटकने नहीं देना है. कठोर से कठोर परीक्षा ली जाएगी सच्चे रास्ते पर चलने की. जो इसमें पार हो गया, वही परमानंद ( या सदगति) को प्राप्त करता है. हमने राजा हरिचंद्र का नाम तो सुना ही है. सत्य के मार्ग पर चलने पर कितने कष्ट आते हे उनके जीवन में. फिर भी वो सभी कष्टों को पार करके सदगति को प्राप्त होते है….. ( Bhagvan Kyu Nahi Milate? )

“सफलता जीवन में मुक्त में नहीं मिलती
कीमत तो चुकानी पड़ती हे “फकीरा”

भारत के बहोत सारे संत और भक्त है जिसने सत्य के मार्ग पर चलते हुए बहोत बार उनको कष्ट भुगतने पड़े है. फिरभी वो अपनी मस्ती में चलते रहे, ना कभी दुखों को लेकर रोए, ना सुख में खुश हुए, जीवन में कभी भी अंहकार को जीवन में जगह नहीं दी. मगर हम बहोत घमंडी लोग है साहब छोटी छोटी बातो पर घमंड पाल कर रखते है. और इसकी वजह से ही अपना धैर्य खो बैठते है.

जिसने अपना धैर्य खोया और थोड़ी भी चूक करदी और परीक्षा में असफल रहे तो वो दुर्गति को प्राप्त होगा। इसलिए भक्ति के मार्ग पर चलते हे या अच्छे कर्म करते हे फिरभी उनको उन्होंने किये कर्म के हिसाब से उनको सदगति या दुर्गति मिलती है. ( Bhagvan Kyu Nahi Milate? ) जब इस रास्ते पर चलते हुए छोटी हो या बड़ी गलती जिसको हम पाप कर्म में गिनते है, वही आपके सभी पुण्य को नष्ट कर देता हे और आपको दुर्गति के मार्ग पर पहोचा देता है…

Bhagvan Kyu Nahi Milate? : Bure Marg Pe Chalne Valo Ko kyo bhagvan milate he?

अब बात करते है जिन्होंने बहोत सरे कुकर्म करते हे उनको अंत समय में भगवान के दर्शन होते हे या भगवान ( Bhagvan Kyu Nahi Milate? ) का नाम मिलता हे और सदगति को प्राप्त होते हे. ऐसा इसलिए उनको जीवन में सुधरने के बहोत अवसर प्राप्त होते हे, फिरभी वो सच्चे मार्ग को नहीं चुनते।

एक बात समझिए गा की जो भक्ति के मार्ग पर और सच्चे मार्ग को चुनते है उनके पास से जो भी कुछ उनके पास हे वो सब कुछ छीन लिया जाता है, ताकि उनके धैर्य की परीक्षा हो शके. उसके विपरीत जो लोग कुकर्म करते है उनको सबकुछ मिलता है, पैसा दौलत शोहरत सबकुछ, ऐसा इसलिए की उनकी जो भी इच्छाए हे उनकी तृप्ति हो जाये और वो सतमार्ग पर चले.

फिरभी वो मोह माया में फसे होने के कारण, उनका मोह और भी बढ़ता जाता हे. फिर जब अंत समय आता हे तो वो सबकुछ याद आता है, उनका पूरा घमंड चूर चूर हो जाता हे. और पूर्ण रूप से मोह माया से परे हो जाते हे. और सारा अभिमान उतर जाता है, तब उनको भगवान का नाम मिलता हे और सदगति को प्राप्त होते है. मगर उनको अंत में समज में आया है तो ही उनकी सदगति होती है, नहीं तो दुर्गति तो निच्छित रूप से मिलती ही है. ( Bhagvan Kyu Nahi Milate? )

इसका ये भी मतलब नहीं हे की बुरे कर्म करने से उनको उनके कर्म का फल भुगतना नहीं पड़ेगा, भुगतना तो सबको पड़ेगा ही. यही नियति है. बहोत सारे लोग ऐसे भी हे जो जीवन पर्यन्त बुरे मार्ग पर चले, मगर उनको कोई ऐसा मिल गया जिसने उनका परिवर्तन कर दिया। और उनको सतमार्ग पर ले आये, और ऐसे भी लोग हे जिन्होंने बहोत सरे कुकर्म करने के बाद अंत समय में उनको भगवान के दर्शन हुए हो या सद्गति को प्राप्त हुए हो.

भगवान श्री कृष्ण ने भगवद गीता में अर्जुन को कहा की “हे पार्थ! तू बस कर्म करते जा, फल की चिंता मत कर”. इसलिए हमे अपने कर्मो के फलो के बारेमे चिंता न करते हुए सुकर्म करते रहना है. किये गए कर्म में अभिमान नहीं करना है. जो भी हुआ सब अच्छा हुआ, जो भी होगा सब भगवान की लीला हे ऐसा भाव मनमें रखना है. ( Bhagvan Kyu Nahi Milate? )

आजकी बात करते हे तो बहोत सारे लोग भगवान को मानते भी हे और पूजा अर्चना करते है, मगर उनमे एक बात नहीं धैर्य और भाव. आज हर कोई भगवान को इसलिए ही पूजता हे की उनके सारे काम हो जाये, उनके सारे दुःख दूर हो जाये। ऐसा कोई एक ही मिलेगा जो सिर्फ बिना स्वार्थ की भक्ति करता हो. ये वैसा ही जैसे मनमे अहंकार पाल लेना, में सबसे ज्यादा भक्ति करता हु या पूजा करता हु.

भक्ति भी कर्म के आधीन है उसमे भाव होना चाहिए, मन शुद्ध होना चाहिए और मन को अहंकार से दूर रखते हुए प्रभु का स्मरण करते रहना चाहिए, और उसमे किसी भी प्रकार का स्वार्थ नहीं होना चाहिए। आपने एक कहावत तो सुनी होगी कि…

चतुराई सब चौपट करे, ज्ञानी गोता खाय,
और भोला भला भक्ता ने, जट दर्शन हो जाय…

Bhagvan Kyu Nahi Milate?

धन्यवाद….

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