Ghav Bhara Nahi Karate :

अंधेरी रात से दिन का उजाला डरावाना था,
दुश्मनों से ज्यादा तो दोस्तों से खतरा था…
पथ्थरों से मारा होता तो भर जाते घाव,
इज्जत पर किया हुआ घाव भरा नहीं करते,
तोहमत देकर खुश बहोत हुए थे दोस्त,
रुको, मेरे सब्र की मार अभी तो बाकी है…